जिव विज्ञानं का क्रमबद्ध ज्ञान के रूप मई विकास - प्रसिद्ध ग्रीक दार्शनिक आरस्तु (३८४-322bc) के काल में हुआ .
अरस्तु को जिव विज्ञानं और प्राणीविज्ञानं का जनक कहते हैं .
अरस्तु द्वारा समस्त जीवो को दो समूहों में विभाजित किया गया
१ जंतु समूह
२ वनस्पति समूह
१ पादप जगत
२ जंतु जगत
लीनियस को आधुनिक वर्गीकरण का पिता कहते हैं
सन 1969 ई . में हिटेक्कर (whittaker) ने समस्त जीवो को पांच जगत में वर्गीकृत किया -
१ मोनेरा (Monera)
२ प्रोटिस्टा (Protista)
३ पादप (Plant)
४ कवक (Fungi)
५ जंतु (Animal)
सन 1753 ई. में लीनियस ने जीवो की द्धिनाम पद्धति को प्रचलित किया .
इस पद्धति के अनुसार जीवधारी का नाम लेटिन भाषा के दो शब्दों से मिलकर बना होता हैं
पहला शब्द -वंश नाम (generic name )
दूसरा शब्द - जाती नाम (species name)
वंश जाती नामो के बाद उस वैज्ञानिक का नाम लिखा जाता है जिसने सबसे पहले उस जाती को खोजा या जिसने इस जाती को सबसे पहले वर्तमान नाम प्रदान किया
जेसे - मानव का नाम -होमो सेपियन्स लीन
सेपियन्स का अर्थ - जाती
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